प्लाचीमाडा की महिला नेता मायलम्मा
" पृथ्वी से अच्छा बरताव करो ।पृथ्वी तुम्हें माँ-बाप ने नहीं दी है,आगे आने वाली पीढियों ने उसे तुम्हे कर्ज के रूप में दिया है ।हमें अपने बच्चों से उधार में मिली है पृथ्वी ।"
आधुनिक औध्योगिक सभ्यता के प्रथम शिकार 'रेड इन्डियन' लोगों की यह प्रसिद्ध कहावत प्लाचीमाडा के कोका-कोला विरोधी आअन्दोलन की जुझारू महिला नेता मायलम्मा की भावना से कितनी मेल खाती है ! मायलम्मा ने कोका-कोला कम्पनी द्वारा भूगर्भ-जल-दोहन के भविष्य के परिणाम के प्रति चेतावनी दे कर कहा था , 'तीन वर्षों में इतनी बर्बादी हुई है तो दस-पन्द्रह वर्षों बाद क्या हालत होगी ? तब हमारे बच्चे हमें कोसते हुए इस बंजर भूमि पर रहने के लिए अभिशप्त होंगे ।'
दो-सौ देशों में फैली बहुराष्ट्रीय कम्पनी के कारखाने के सामने घास-फूस के 'समर-पंडाल' के नीचे प्लाचीमाडा की आदिवासी महिलाओं का अनवरत चला धरना अहिन्सक संघर्ष के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा ।
प्राकृतिक संसाधनों पर हक किसका है ? एक दानवाकार कम्पनी का ?या स्थानीय समुदाय का ? हक़ की इस लड़ाई का नेता कौन होगा ? - इन प्रश्नों को दिमाग में लिए 'मातृभूमि' के सम्पादक और लोक-सभा सदस्य श्री एम.पी. वीरेन्द्रकुमार के निमंत्रण पर पहली बार २१,२२,२३ जनवरी,२००४ को प्लाचीमाडा में आयोजित ' विश्व जन-जल-सम्मेलन में भाग लेने का अवसर मिला ।इस सम्मेलन में वैस्वीकरण विरोधी,गांधीजी से प्रभावित,फ़्रान्सीसी किसान नेता जोशे बोव्हे , पानी पर गिद्ध-दृष्टि गड़ाई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के प्रति सचेत करने वाली किताब की लेखिका मॊड बर्लो,यूरोपियन यूनियन के सांसद,मलयालम के वरिष्ठ साहित्यकार सुकुमार अझिकोड़,वासुदेवन नायर,सार जोसेफ़ और केरल विधान-सभा में विपक्ष के नेता अच्युतानन्दन (मौजूदा मख्यमन्त्री ) न भाग लिया था । इन सभी राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय दिग्गजों को पालघाट के इस गाँव की ओर आकर्षित करने वाला एक प्रमुख तत्व मायलम्मा का नेतृत्व था ।
' जिस की लड़ाई उसीका नेतृत्व' जन-आन्दोलनों की इस बुनियादी कसुटी पर प्लाचीमाडा-आन्दोलन मयलम्मा जैसी प्रखर महिला नेता के कारण खरा उतरा था ।
मेंहदीगंज में कोका-कोला विरोधी आन्दोलन को प्लाचीमाडा से प्रेरणा मिली थी । साथी मयलम्मा हमें बता गयीं हैं कि :
(१) प्राकृतिक संसाधनों पर स्थानीय आबादी का प्राथमिक हक़ है।
(२) इस अधिकार के लिए संघर्ष स्थानीय नेतृत्व द्वारा ही चलाया जाएगा ।
संसाधनों पर अधिकार का निर्णय राजनीति द्वारा होता है और इस दौर की नई राजनीति में प्लाचीमाडा की मयलम्मा को याद किया जाएगा ।
- अफ़लातून , अध्यक्ष , समाजवादी जनपरिषद , उत्तर प्रदेश।
आधुनिक औध्योगिक सभ्यता के प्रथम शिकार 'रेड इन्डियन' लोगों की यह प्रसिद्ध कहावत प्लाचीमाडा के कोका-कोला विरोधी आअन्दोलन की जुझारू महिला नेता मायलम्मा की भावना से कितनी मेल खाती है ! मायलम्मा ने कोका-कोला कम्पनी द्वारा भूगर्भ-जल-दोहन के भविष्य के परिणाम के प्रति चेतावनी दे कर कहा था , 'तीन वर्षों में इतनी बर्बादी हुई है तो दस-पन्द्रह वर्षों बाद क्या हालत होगी ? तब हमारे बच्चे हमें कोसते हुए इस बंजर भूमि पर रहने के लिए अभिशप्त होंगे ।'
दो-सौ देशों में फैली बहुराष्ट्रीय कम्पनी के कारखाने के सामने घास-फूस के 'समर-पंडाल' के नीचे प्लाचीमाडा की आदिवासी महिलाओं का अनवरत चला धरना अहिन्सक संघर्ष के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा ।
प्राकृतिक संसाधनों पर हक किसका है ? एक दानवाकार कम्पनी का ?या स्थानीय समुदाय का ? हक़ की इस लड़ाई का नेता कौन होगा ? - इन प्रश्नों को दिमाग में लिए 'मातृभूमि' के सम्पादक और लोक-सभा सदस्य श्री एम.पी. वीरेन्द्रकुमार के निमंत्रण पर पहली बार २१,२२,२३ जनवरी,२००४ को प्लाचीमाडा में आयोजित ' विश्व जन-जल-सम्मेलन में भाग लेने का अवसर मिला ।इस सम्मेलन में वैस्वीकरण विरोधी,गांधीजी से प्रभावित,फ़्रान्सीसी किसान नेता जोशे बोव्हे , पानी पर गिद्ध-दृष्टि गड़ाई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के प्रति सचेत करने वाली किताब की लेखिका मॊड बर्लो,यूरोपियन यूनियन के सांसद,मलयालम के वरिष्ठ साहित्यकार सुकुमार अझिकोड़,वासुदेवन नायर,सार जोसेफ़ और केरल विधान-सभा में विपक्ष के नेता अच्युतानन्दन (मौजूदा मख्यमन्त्री ) न भाग लिया था । इन सभी राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय दिग्गजों को पालघाट के इस गाँव की ओर आकर्षित करने वाला एक प्रमुख तत्व मायलम्मा का नेतृत्व था ।
' जिस की लड़ाई उसीका नेतृत्व' जन-आन्दोलनों की इस बुनियादी कसुटी पर प्लाचीमाडा-आन्दोलन मयलम्मा जैसी प्रखर महिला नेता के कारण खरा उतरा था ।
मेंहदीगंज में कोका-कोला विरोधी आन्दोलन को प्लाचीमाडा से प्रेरणा मिली थी । साथी मयलम्मा हमें बता गयीं हैं कि :
(१) प्राकृतिक संसाधनों पर स्थानीय आबादी का प्राथमिक हक़ है।
(२) इस अधिकार के लिए संघर्ष स्थानीय नेतृत्व द्वारा ही चलाया जाएगा ।
संसाधनों पर अधिकार का निर्णय राजनीति द्वारा होता है और इस दौर की नई राजनीति में प्लाचीमाडा की मयलम्मा को याद किया जाएगा ।
- अफ़लातून , अध्यक्ष , समाजवादी जनपरिषद , उत्तर प्रदेश।
जल आपूर्ति की समस्या भविष्य में काफी विकट रूप ले सकती है. आपके लेखन से लगता है कि आप इस आंदोलन से जुड़े हुये हैं.
जवाब देंहटाएंजिज्ञासावश पूछ रहा हूं कि क्या 'रेन वाटर हार्वेस्टिंग' से प्लाचीमाडा की जल समस्या का समाधान निकल सकता है? प्लाचीमाडा की भौगोलिक स्थिति के हिसाब से क्या यह एक विकल्प है?