गुरुवार, अगस्त 17, 2006

'उपेक्षित ऊर्वशी अंचल'

हिन्दू जागरण नामक चिट्ठा में पूर्वोत्तर भारत पर लिखी प्रविष्टी पर टिप्पणी
पूर्वोत्तर भारत या 'उपेक्षित ऊर्वशी अंचल' के बारे में कितनी कम जानकारी होती है हम सब के पास.माईती (मीती नहीं)समुदाय वैश्नव है और बांग्ला लिपि से अलग,थाई लिपि के ज्यादा निकट,अपनी लिपि की तलाश में है.भारतीय सैन्य व अर्ध सैन्य बलों के अत्याचारों के प्रतिकार में शुरु हुए व्यापक जनान्दोलन को शेष भारत के कितने 'हिन्दुओं' का समर्थन मिला था ?उल्फ़ा और आई.एस. आई. के तालुकातों के बारे में जानते हुए भी उसका उल्लेख क्यों नहीं है आपकी टिप्पणी में?उल्फा में अधिसंख्य हिन्दू हैं,क्या इसीलिये?हर प्रकार की आतंकी घटना का विरोध होना चहिये लेकिन उन उपेक्षापूर्ण नीतियों को नज़र -अन्दाज भी न करें जब चीनी हमले के वक़्त जवाहरलालजी ने पूर्वोत्तर भारत को रेडियो से बिदाई संदेश- सा दे दिया था.अरुणाचल (तब का नेफ़ा ) के जिन गांवों में कभी आईना नही देखा था, उन्हें आईना और माओ तथा नेहरू की तसवीर दिखा कर वे पूछते थे,'तुम्हारा चेहरा किससे मिलता है ?'आदिदेव विश्वनाथ के कैलाश-मानसरोवर की मुक्ति की कल्पना भी एक 'छद्म धर्म निर्पेक्ष'और नस्तिक लोहिया ने ही की जो 'हिन्दू बनाम हिन्दू' के संघर्ष से वाकिफ़ थे.

दूसरा

होशंगाबाद के आदिवासी तवा बांध, आयुध कारखाना तथा इस कारखाने में बने गोलों की जांच-परीक्षण के लिये बने 'प्रूफ रेन्ज ' द्वारा गत ३० वर्षों में कई बार उजाडे गए.बांध के पानी में डूबे अपने ग़ांव,खेत और जंगल के ऊपर जब वे मछली पकडते तब उन्हें चोर कहा जाता.लम्बे संघर्ष के बाद उनकी सहकारी समितियों को मछली मारने का हक़ मिला.इससे सरकार को मिलने वाले मछली पर राजस्व की भी भारी बढोतरी हुई.हाल में घोषित अभयारण्यों और उसके लिये बने कानून के डंन्डे के बल पर फिर उनकी आजीविका छीनने की साजिश चल रही है.म.प्र. के मुख्यमंत्री और वन मन्त्री को संबोधित ज्ञापन पर आपके नैतिक समर्थन की मुहर लग सकती है,यहां --

http://www.PetitionOnline.com/tms2006/
हिन्दी में प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर अभियान चलाने के लिये ऐसी कोई जगह बनी है ? लोकतंत्र में बहुत जरूरी है ऐसी 'जगह ' का होना.अंग्रेजी वालों ने अब तक ७९ दस्तखत किये हैं.अब देखा जाए.

दो प्रतिवेदन

बोलिविया की जनता द्वारा पानी का व्यवसाय करने वाली सबसे बडी फ्रान्सीसी कम्पनी सुएज को देश के बाहर करने की लडाई दुनिया भर के वैश्वीकरण विरोधियों के लिये मिसाल है.ऑस्कर ऑलिवेरा,जो एक जूता बनाने के कारखाने मशीनिस्ट हैं इस सन्घर्ष के नेता हैं.देश छोडने के लिये मजबूर होने के बाद सुएज़ ने हर्जाने का दावा किया.इस दावे के प्रति अपना विरोध आप भी दर्ज करा सकते हैं - थोडा-सा समय निकाल कर नीचे अन्कित स्थल पर :
http://www.democracyinaction.org/dia/organizationsORG/fwwatch/campaign.jsp?campaign_KEY=4677

बुधवार, अगस्त 16, 2006

वाल मार्ट

सरकारी नीतियो के कारण बेरोजगारी है और ऐसे में माता पिता सोचते हैं कि थोडी सी पूंजी लगा कर दुकान खोल दी जाए .वाल मार्ट जैसे मगरमच्छ क्या करेंगे आपने बताया है.मुकेश अंबानी का दावा है कि वे भारतीय वाल मार्ट बनना चाहते हैं.सब्जी तक अम्बानी घर तक पहुंचाएंगे.वाम फ्रन्ट सरकार ने अम्बानी को न्योता दिया है. दुनिया के १० सबसे बडे पैसे वालों में ५ 'वॉल्टन' हैं.वॉल्टन वाल मार्ट का मालिक खानदान है.इनकी कुल दौलत ९० बीलियन डौलर है यानि बिल गेट्स और वॉरन बफेट की सम्मिलित दौलत से ज्यादा तथा सिंगापुर की राष्ट्रीय आय से ज्यादा.किसी आपूर्तिकर्ता का यदि ज्यादातर माल यदि आप ही खरीदते हैं तो सौदेबाजी से आपको माल सस्ता मिलेगा.वाल मार्ट यह ही करता है.साथ साथ मजदूरों को भी चूस कर रखता है.उन्हें स्वास्थ्य आदि कि सुविधा से मरहूम रख कर दाम सस्ता रख्ता है.सस्ता होगा यह भी भ्रम है-अरकन्सास के एक दैनिक ने ६ वाल मार्ट दुकानों की तुलना अन्य दुकानों से की तो पत चला कि १९ घरेलू सामानों में वाल मार्ट मे केवल दो सामान सबसे सस्ते थे.सभी सामानों का न्यूनतम $१२.९१ था तथा अधिकतम वाल मार्ट में $ १५.८६ था.वाल मार्ट में भेद भाव के भी अध्ययन हुए हैं.

मंगलवार, अगस्त 15, 2006

आगाज.

साधारणतया मौन अच्‍छा है,
किन्‍तु मनन के लिए .
जब शोर हो,
चारो ओर सत्‍य के हनन के लिए,
तब तुम्‍हे अपनी बात ज्‍वलन्‍त शब्‍दों में कहनी चाहिए.
सिर कटाना पडे या न पडे,
तैय्‍यारी तो उसकी रहनी चाहिए .
--भवानी प्रसाद मिश्र