' गन - कल्चर ' पर चर्चा
अमेरिका में निजी असलहाधारियों की तादाद दुनिया के किसी भी मुल्क से ज्यादा है और हर साल बन्दूक के गोली से मरने वालों की तादाद भी । सालाना ३०,००० लोग । निजी वैध बन्दूकों की तादाद भी २१ करोड़ है ( इनमें एक साथ कई असलहे रखने वाले भी शामिल हैं ) । वर्जिनिया-टेक परिसर में हुए दर्दनाक हादसे के बाद से अन्तर्राष्ट्रीय से ले कर चिट्ठों के स्तर तक अमेरिकी बन्दूक संस्कृति पर बहस चल रही है । बन्दूक रखने के संविधान प्रदत्त(शस्त्र रखने और धारण करने हेतु दूसरा संविधान संशोधन) अधिकार के बावजूद असलहों से सम्बन्धी कानून अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हैं । भारत में दिखाये जाने वाले विदेशी समाचार चैनलों में भी शैक्षणिक परिसरों में ऐसे हादसों का इतिहास दिखाया जा रहा है । बन्दूक-धारण करने के हक के पैरोकारों का प्रमुख तर्क है , 'बन्दूक आदमी का कत्ल नहीं करती , आदमी आदमी का कत्ल करता है '।इसके बावजूद इन मौतों में से अधिकांश आत्मरक्षार्थ चलायी गयी बन्दूक से नहीं होतीं। बन्दूक संस्कृति की जड़ें इतनी गहरी हैं कि इस मौके पर सक्रिय हुई बन्दूक-कानूनों में सुधार की माँग करने वालों की आवाज दब-दुब जा रही है । हमारे देश में भी जो समूह माओ के चर्चित कथन ' राजनैतिक सत्ता का जन्म बन्दूक की नाल से होता है' में यकीन रखते हैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहेंगे।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमन्त्री हॉवर्ड को अपनी बन्दूक विरोधी नीति की पुष्टि का अवसर मिल गया । हॉवर्ड ने बताया कि उनकी सरकार द्वारा बन्दूक धारण पर नियंत्रण कानून लागू किए जाने के पूर्व २५ करोड़ डॉलर खर्च कर निजी असलहाधारियों की ६००,००० बन्दूकें सरकार ने खरीदीं थीं ।यह बन्दूकें किसानों ,शिकारियों और जनता के अन्य तबकों से खरीदी गयीं ।
कल ( दिनांक १९ अप्रैल ) को वर्जिनिया शहर की दो शस्त्र विक्रेता दुकानों द्वारा आयोजित एक स्पर्धा होने जा रही है ।वर्जिनिया-टेक परिसर इसी शहर में है। हादसे के बावजूद स्पर्धा मुल्तबी नहीं रखी गयी , गौरतलब यह है । यह दो दुकानें है - बॉब मोट्स स्टोर्स तथा ओल्ड डोमिनियन गन एन्ड टैकल्स । इन दुकानों में १०० डॉलर की खरीददारी करने वालों की लॉटरी कल खुलेगी तथा जीतने वाले को बतौर ईनाम ९०० डॉलर की राइफ़ल अथवा हैन्डगन मुफ़्त दी जाएगी । कहा जा रहा है कि यह प्रमोशन - कार्रवाई न्यू यॉर्क के महापौर माइकल ब्लूमब्रर्ग द्वारा यह घोषित किए जाने के प्रतिकार में आयोजित है कि वर्जिनिया की दो तथा अन्य राज्यों की २५ अन्य शस्त्र-विक्रेता दुकानों पर मुकदमा करेंगे , चूँकि इनके द्वारा अत्यन्त सरलता से शस्त्र बेचे जाते हैं तथा यह हिन्सक वारदातों की जड़ में है । ब्लूमबर्ग ने वर्जिनिया के दुकानों में 'छुपे-खरीददारों' को भेज कर यह साबित करने की कोशिश की है । यह माना जाता है कि वर्जिनिया सरलता से बन्दूक प्राप्त किये जाने वाले राज्यों की सूचि में दूसरे नम्बर पर है । वर्जिनिया-टेक परिसर में हत्याओं के लिए जिम्मेदार ग्रीन कार्ड धारक कोरियाई छात्र ने करीब एक महीना पहले वैध तरीके से इन में से एक दुकान से असलहा और कारतूसें खरीदीं थीं । पहचान के लिये अपना चालक लाइसेन्स , ग्रीन कार्ड और चेक बुक दिखा कर उसे शस्त्र दिया गया था। वर्जिनिया में उसकी पृष्टभूमि आदि की रपट हासिल करना बन्दूक बेचते वक्त जरूरी नहीं है । इस शहर की एक अन्य दुकान पर एक विज्ञापन है - ओसामा बिन लादेन के थोबड़े पर निशाना लगाने वाला चक्र बना है और उस पर दो बन्दूकें तनी हुई हैं । सीएनएन के एक संवाददाता के चिट्ठे पर यह भी कहा गया परदेसियों को बन्दूक-धारण का हक नहीं मिलना चाहिए।
आतंकवादियों की गलत ही सही एक राजनैतिक विचारधारा होती है , जो छिपी नहीं है। इस प्रकार की हत्याओं के जिम्मेदार व्यक्ति के दिमाग में क्या चल रहा है यह जानना निश्चित तौर पर अधिक कठिन होगा।
यही मुल्क दुनिया के सबसे संहारक शस्त्रों के जखीरे का मालिक भी है इसलिए बन्दूक के दर्शन पर वहाँ चल रही बहस पूरी दुनिया के लिए गौरतलब हो जाती है ।
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