बुधवार, दिसंबर 20, 2006

कुछ और विशेष क्षेत्र : ले. राजकिशोर ( सामयिक वार्ता में )

कुछ और विशेष क्षेत्र : ले. राजकिशोर ( सामयिक वार्ता में )
सामयिक वार्ता/नवंबर,२००६ से लिया गया .
व्यंग्य
मुझे लगता है , भारत सरकार हमेशा अधूरा काम करती है . उसने राजनीतिक आजादी दी , पर आर्थिक आजादी देना भूल गयी .दलितों और पिछड़ों को आरक्षण दिया , पर पिछड़े वर्गों को इससे वंचित रखा . हिन्दी को राजभाषा बनाया , पर अंग्रेजी को छुआ तक नहीं . विशेष आर्थिक क्षेत्र , जहाँ पूँजीपतियों के हित में सभी कानूनों को स्थगित कर दिया जाएगा , बना कर सरकार अधूरे काम करने की अपनी परंपरा को ही निभा रही है . बाद में उसे अनेक विशेष क्षेत्र बनाने होंगे , इसका उसे खयाल तक नही है . देशप्रेमी होने के नाते मेरा कर्तव्य है कि मैं उन विशेष क्षेत्रों को अभी से रखांकित कर दूं , जिनका निर्माण करने की जरूरत है .
विशेष राजनीतिक क्षेत्र : राजनीतिक दलों और उनके नेताओं का आचरण देख कर लग रहा है कि देश का वातावरण उनकी भावनाऒं के अनुकूल या काफी नहीं रह गया है . कहीं पुलिस आड़े आ जाती है , कहीं सीबीआई जाँच करने लगती है . कभी लोक सभा से इस्तीफा देना पड़ जाता है , कभी विधान सभा से . ऐसे में कोई राजनीति क्या करेगा ? अत: राजनीतिग्यों के लिए जगह - जगह विशेष क्षेत्र बनाने चाहिए . इन क्षेत्रों में देश का कानून लागू नहीं होगा - आर्म्स एक्ट भी नहीं . यहाँ न थाने होंगे , न न्यायालय . वोट देने - लेने का तो सवाल ही नही उठता . जो सबसे मजबूत होगा , उसी का राज चलेगा . उसी को इस क्षेत्र का जन प्रतिनिधि माना जा सकेगा और वह जब चाहे , संसद में आ-जा सकेगा .
विशेष सांस्कृतिक क्षेत्र : संस्कृति के क्षेत्र में बहुत अराजकता दिखाई दे रही है . कोई सबको गेरुए वस्त्र पहनाना चाहता है , कोई कम से कम कपड़े पहन कर भारत के वस्त्र उद्योग को नष्ट कर रहा है,तो कोई रोज कम से कम एक बलात्कार से कम पर राजी नहीं है . जाहिर है कि इन सभी को विशेष सांस्कृतिक क्षेत्रों की जरूरत है . इन क्षेत्रों में लोगों को अपनी सांस्कृतिक रुचि के अनुसार जीने की पूरी छूट होगी वे चाहें तो दिन भर सड़कों पर घूमते हुए गाएँ - बजाएँ या शराब पी कर धुत रहें . कामुक चित्रों , संगीत , साहित्य , देह प्रदर्शन - किसी भी चीज पर रोक नहीं होगी . यहाँ तक कि नग्न हो कर विचरण करने का भी बुरा नहीं माना जाएगा . लोग चाहें तो ऐसे प्रयोग भी कर सकते हैं जिनके बारे में अभी तक सोचा भी नही गया है . विदेशी पर्यटक यहाँ खूब आएँगे , क्योंकि
यहाँ उन्हें वे आजादियाँ हासिल होंगी जो उनके अपने देश में भी उपलब्ध नहीं हैं . इससे हमारा जीडीपी ०.३४ प्रतिशत बढ़ेगा .
विशेष धार्मिक क्षेत्र : विशेष धार्मिक क्षेत्र का सृजन कर हम देश की अनेक धार्मिक समस्याओं से मुक्त हो सकते हैं . कुछ हिंदुओं को शिकायत है कि भारत की व्यवस्था वेद - शास्त्र के प्रावधानों के मुताबिक नहीं चल रही है . सिखों और इसाइयों की अपनी - अपनी समस्याएँ हैं.इन शिकायतों के निवारण का एक ही तरीका है - विशेष धार्मिक क्षेत्रों की स्थापना . प्रत्येक धर्म के अनुयाइयों को अपना विशेष धार्मिक क्षेत्र बनाने की आजादी होगी . यहाँ का समाज धर्माचार्यों के निर्देशों के अनुसार चलेगा . मसलन हिन्दू क्षेत्र में मनुस्मृति क्षेत्र में चोरी करनेवाले का हाथ काट लिया जाएगा . दोनों क्षेत्रों में स्त्रियों को परदे में रहना होगा . सिख चाहे जितनी नंगी तलवार ले कर चल सकते हैं . इत्यादि - इत्यादि .
विशेष लाल - क्षेत्र : आदि काल से फलते - फूलते आए यौन व्यवसाय पर जब से सरकार ने रोक लगाई है , यौनकर्मियों के साथ - साथ रसिक नागरिकों का सुखपूर्वक जीना दूभर हो गया है . उनका कहना है कि लादा हुआ संयम संयम नही है . यौनकर्मियों का कहना है कि हमारे शरीर पर हमारा ही अधिकार न हो . यह कैसा न्याय विधान है ? कानूनी रोक के कारण बिजनेस तो मंदा नहीं पड़ा है . पर पुलिस वालों और स्थानीय गुण्डों को उनका हिस्सा देना पड़ता है .देश में जगह - जगह विशेष लाल क्षेत्र बना देने से नागरिकों और नागरिकाओं , दोनों का भला होगा . इस क्षेत्र में शारीरिक क्रीड़ा की विभिन्न भंगिमाओं के लिऎ खुली छूट होगी . रात चाहे कितनी गयी हो , किसी नागरिक से यह नहीं पूछा जाएगा कि वह कहाँ से आ रहा है या कहाँ जा रहा है . नागरिकाओं को उनके कंज्यूमर - फ़्रेंडलीनेस के लिए परेशान नही किया जाएगा .

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