सोमवार, सितंबर 11, 2006

बनारस तुझे सलाम !

मालेगांव में आतंकी घटना के बाद वहां की जनता ने आतंकियों के प्रतिक्रिया फैलाने के मक़सद को अपनी सूझ - बूझ से नाकामयाब कर दिया . उसे सलाम !इस मौके पर काशी में हुए ऐसे ही काण्ड के बाद ‘ साझा संस्कृति मंच ‘ द्वारा निकाले गये जुलूस में वितरित पर्चे को देना उचित है.काशी के बनारसीपन को झकझोरने की एक नापाक कोशिश गत मंगलवार को हुई . अपने विश्वास को संविधान , कानून , राष्ट्र और जनता से ऊपर समझने वाली घिनौनी , आतंकी कार्रवाई का मक़सद निरपराध इंसानों का कत्ल करना होता है ताकि प्रतिहिंसा , साम्प्रदायिकता और विघटन का एक और दौर शुरु हो जाए . बनारसीपन की जीत हुई . पूरा देश काशी की जनता के विवेक , मर्यादा और साहस से अभिभूत है .संकट की इस घडी में आम काशीवासियों की भूमिका पर गौर करें . गोदौलिया के पटरी व्यवसाइयों की मुस्तैदी ने एक और विस्फोट होने से पूर्व ही उसे विफल कर दिया . विस्फोटों में घायल हुए लोगों को अस्पतालों तक पहुंचाने और रक्तदान करने में स्वत:स्फूर्त ढंग से प्रकट बनारस की लोकशक्ति का दर्शन हुआ . सडक पर मौजूद एक एक ऒटोरिक्षा एम्ब्युलेंस बन गया था . बनारसियों के लिए काशी का मतलब हृदय का प्रकाश भी है . यह प्रकाश हमें दैहिक , दैविक और भौतिक सन्ताप से मुक्ति की शक्ति देता है -परहित सरिस धरम नहि भाई , पर पीडा सम नहि अधमाई .गोस्वामी तुलसीदास के इस संदेश के साथ - साथ हर बनारसी कबीर की इस चेतावनी को भी भली भांति समझता है कि -तन फाटे की औषधि , मन फाटे की नाहि .प्रतिवर्ष होली जलाते वक्त हम हिरण्यकश्यप की कुटिल चाल के नाकामयाब होने का स्मरण करते हैं . हिरण्यकश्यप चाहता था कि सब उसे ही भगवान मानें और उसकी पूजा करें . संविधान , क़ानून , राष्ट्र और जनता से ख़ुद को ऊपर समझने वाली हिरण्यकश्यप - वृत्ति आज भी देश की जनता की एकता , सद्भावना , परस्पर विश्वास और लोकतांत्रिक मर्यादाओं पर कुठाराघात का प्रयास कर रही हैं . साम्प्रदायिकता या आतंकवाद उसका आदेश मानने वाली बहिन होलिका की भांति हैं जिसके माध्यम से कई निर्दोष और मासूमों को अपना शिकार बनाने की कोशिशें होती हैं . काशी की जनता भक्त प्रह्लाद की भांति अग्निपरीक्षा में सफल हुई.

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