सोमवार, जून 25, 2007

रघुवीर सहाय : तीन कविताएँ

Technorati tags: ,

बड़ा अफ़सर

इस विषय पर विचार का कोई प्रश्न नहीं

निर्णय का प्रश्न नहीं

फिर से समीक्षा का प्रश्न नहीं

प्रश्न से भागता गया

उत्तर देते हुए इस तरह बड़ा अफ़सर ।

प्रश्न

आमने सामने बैठे थे

रामदास मनुष्य और मानवेन्द्र मंत्री

रामदास बोले आप लोगों को मार क्यों रहे हैं ?

मानवेन्द्र भौंचक सुनते रहे

थोड़ी देर बाद रामदास को लगा

कि मंत्री कुछ समझ नहीं पा रहे हैं

और उसने निडर हो कर कहा

आप जनता की जान नहीं ले सकते

सहसा बहुत से सिपाही वहाँ आ गए ।

हमारी मुठभेड़

कितने अकेले तुम रह सकते हो

अपने जैसे कितनों को खोज सकते हो तुम

हम एक गरीब देश के रहने वाले हैं इसलिए

हमारी मुठभेड़ हर वक्त रहती है ताकत से

देश के गरीब रहने का मतलब है

अकड़ और अश्लीलता का हम पर हर वक्त हमला ।

- रघुवीर सहाय.

( साभार : प्रतिनिधि कविताएँ , राजकमल प्रकाशन , नई दिल्ली )

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें