दूसरा
होशंगाबाद के आदिवासी तवा बांध, आयुध कारखाना तथा इस कारखाने में बने गोलों की जांच-परीक्षण के लिये बने 'प्रूफ रेन्ज ' द्वारा गत ३० वर्षों में कई बार उजाडे गए.बांध के पानी में डूबे अपने ग़ांव,खेत और जंगल के ऊपर जब वे मछली पकडते तब उन्हें चोर कहा जाता.लम्बे संघर्ष के बाद उनकी सहकारी समितियों को मछली मारने का हक़ मिला.इससे सरकार को मिलने वाले मछली पर राजस्व की भी भारी बढोतरी हुई.हाल में घोषित अभयारण्यों और उसके लिये बने कानून के डंन्डे के बल पर फिर उनकी आजीविका छीनने की साजिश चल रही है.म.प्र. के मुख्यमंत्री और वन मन्त्री को संबोधित ज्ञापन पर आपके नैतिक समर्थन की मुहर लग सकती है,यहां --
http://www.PetitionOnline.com/tms2006/
हिन्दी में प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर अभियान चलाने के लिये ऐसी कोई जगह बनी है ? लोकतंत्र में बहुत जरूरी है ऐसी 'जगह ' का होना.अंग्रेजी वालों ने अब तक ७९ दस्तखत किये हैं.अब देखा जाए.
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