गुरुवार, अक्तूबर 04, 2007

अमृत घूंट (४) : ले. नारायण देसाई ( प्रश्नोत्तरी )

एक सभा में प्रश्नोत्तरी

    प्रश्न : स्वराज के मार्ग में मुख्य विघ्न क्या है ?

    उत्तर : अंग्रेज सत्ताधारी सत्ता छोड़ना  चाहते नहीं अथवा हम उनके हाथसे  बलपूर्वक सत्ता छीन नहीं सकते ।

    प्रश्न : आप हिंदुस्तान को साम्राज्य से किस हद तक अलग करेंगे ?

    उत्तर : साम्राज्य से पूर्णत: , ब्रिटिश प्रजा से तनिक भी नहीं ।

    प्रश्न : क्या आप यह मानते हैं कि हिन्दुस्तान अपना भावि इंग्लैण्ड के साथ अभेद्यरूप से जोड़ेगा ?

    उत्तर : हाँ , जब तक वह भागीदार रहेगा तब तक । लेकिन जब वह यह देखेगा कि यह भागीदारी राक्षस और बौने के बीच की है , या उस भागीदारी का उपयोग दूसरी प्रजाओं को लूटने के लिए हो रहा है , तो वह भागीदारी तोड़ देगा ।

    प्रश्न : आपको स्वराज देने में हमारी भूल नहीं होगी ?

    उत्तर : मेरे खयाल से आप अगर किसी को स्वराज दें तो वह भूल हो सकती है , सही ।

    प्रश्न : (इंग्लैण्ड निवासी भारतीयों को ): हिन्दुस्तान की उत्तम सेवा किस प्रकार हो सकती है ?

    उत्तर :आपकी बुद्धि को पैसों में भुनाने के बदले उसे देश सेवामें इस्तेमाल करने से ।

( मारूं जीवन ए ज मारी वाणी खण्ड ३ से उद्धृत )

 

1 टिप्पणी:

  1. The great revolutionary Jugal Kishore Raibir , National President of the Samajwadi Jana Parishad passed away on Tuesday November 6th, 2007 at Jalpaygudi,West Bengal. He was 60.
    The Socialist

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